BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 6.Nyay Prakriya mcq questions Class 8th Solutions, Nyay Prakriya MCQ Questions, Nyay Prakriya question answer, Nyay Prakriya important question answer, न्याय प्रक्रिया class 8th question answer, न्याय प्रक्रिया mcq online test, Nyay Prakriya mcq questions, Nyay Prakriya Notes
6 .न्याय प्रक्रिया
पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न : आपके अनुसार पुलिस के क्या -क्या काम होते हैं? लिखकर या चित्र बनाकर बताइए ।
( पृष्ठ 56 )
उत्तर – पुलिस का काम होता है अपने थाना क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखना । यदि दो व्यक्तियों के बीच झगड़ा होता है या मारपीट होती है तो उसका एफ. आई. आर. दर्ज करना । जाँचकर दोषी व्यक्ति को गिरफ्तार करना। यदि मामला जमानत देने लायक रहता है तो थाने से ही जमानत दे दिया जाता है। बाद में मामला सत्र न्यायालय में भेज देता है। यदि मामला गैर जमानती है तो पुलिस गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के अन्दर उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित कर देती है । मजिस्ट्रेट चाहे तो उसे जमानत दे देता है । बाद में मामला सत्र न्यायालय या फिर उच्च न्यायालय में जाता है । (पृष्ठ –57 )
प्रश्न 1. ग्राम कचहरी ने अपना फैसला अवधेश के पक्ष में क्यों सुनाया? चर्चा कीजिए ।
उत्तर – ग्राम कचहरी ने जमीन के कागजात के आधार पर अवधेश के पक्ष में फैसला सुनाया। जमीन का मालिकाना हक कागजात से ही स्पष्ट होता है । कागज में जमीन का रकबा और चौहद्दी दी गई रहती है। इसे आसानी से स्पष्ट हो जाता है कि कौन -सी जमीन किसकी है और कितनी है ।
प्रश्न 2. क्या विनोद को अवधेश की पिटाई करनी चाहिए थी ?
उत्तर— नहीं, समाज के किसी व्यक्ति को कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है ।
प्रश्न 3. अगर विनोद ग्राम कचहरी के फैसले से संतुष्ट नहीं था तो उसे क्या करना चाहिए था ?
उत्तर – अगर विनोद ग्राम कचहरी के फैसले से संतुष्ट नहीं था तो उसे जिले में सत्र न्यायाधीश के पास अपील दायर करनी चाहिए थी
(पृष्ठ –59 )
प्रश्न 1. थाने में रिपोर्ट लिखवाना क्यों जरूरी है ?
उत्तर – यदि मारपीट जैसी फौजदारी घटना हुई तो इसका रिपोर्ट थाने में लिखवाना अति आवश्यक है। थाने में रिपोर्ट के आधार पर ही दारोगा जाँच करता है और मामला मजिस्ट्रेट के सुपुर्द करता है जहाँ न्याया किया जाता है ।
प्रश्न 2. अगर आपके घर में चोरी हो जाये तो आप कैसे रिपोर्ट लिखवायेंगे? विवरण लिखिये |
उत्तर – अगर मेरे घर में चोरी हो जाय तो मैं थाने में जाकर रिपोर्ट लिखवाऊँगा। जो -जो वस्तुएँ चोरी गई होंगी, उनका विवरण भी लिखवाऊँगा ।
प्रश्न 3. एफ. आई. आर की कॉपी क्यों जरूरी है ?
उत्तर – एफ. आई. आर. की कॉपी इसलिए जरूरी है, क्योंकि वही प्रमाण है, जिससे पता चलेगा कि चोरी का रिपोर्ट थाने में दर्ज कराया गया है। यह अनेक कामों में उपयोगी होता है ।
प्रश्न 4. अगर कोई थानेदार आपका एफ. आई. आर. दर्ज न करे तो आप क्या कर सकते हैं?
उत्तर – अगर थानेदार मेरा एफ. आई. आर. दर्ज नहीं करता है तो मैं जिला में सत्र न्यायाधीश के यहाँ रिपोर्ट रर्ज कराऊँगा ।
(पृष्ठ –60)
प्रश्न 1. एफ. आई. आर० की शिकायत के मामले में पुलिस छानबीन से क्या पता लगाने की कोशिश करती है?
उत्तर – एफ. आई. आर की शिकायत के मामले में पुलिस छानबीन से यह पता लगाने का प्रयास करती है कि शिकायत सही है या गलत ।
प्रश्न 2. मामले की छानबीन के लिए पुलिस को मार -पिटाई का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर – मामले की छानबीन के लिए पुलिस को मार -पिटाई का प्रयोग इसलिए नहीं करना चाहिए, क्योंकि सजा देने का अधिकार पुलिस को नहीं है । पुलिस अधिक -से -अधिक यही कर सकती है कि मामले को अदालत के सुपुर्द कर सकती है ।
प्रश्न 3. किसी भी अपराधी द्वारा थाने में अपना जुर्म कबूल करने पर उसे वहीं पर ही सजा क्यों नहीं सुनाई जा सकती ?
उत्तर – थाने में जुर्म कबूल लेने के बावजूद वहीं पर उसे इसलिए सजा नहीं दी जा सकती, क्योंकि सजा देना थाना का काम नहीं है । सजा न्यायालय देता है । अतः थानेदार मामले को न्यायालय के सुपुर्द करेगा ।
प्रश्न 4. क्या छानबीन की प्रक्रिया को कोई व्यक्ति प्रभावित कर सकता है? कैसे ? आपस में चर्चा कीजिए ।
उत्तर – हाँ, छानबीन की प्रक्रिया को कोई रसूफ वाला धनी -मानी या बाहुबली या ऊपर सरकार में अपना प्रभाव रखने वाला व्यक्ति छानबीन की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है । लेकिन यह सदैव सम्भव नहीं है । कोई कड़क थानेदार किसी की बातों में नहीं भी आता ।
(पृष्ठ –61)
प्रश्न 1. जमानत का प्रावधान क्यों रखा गया है ?
उत्तर – जमानत का प्रावधान इसलिए रखा गया है कि आरोपी पर जबतक अपराध साबित नहीं हो जाता तबतक नाहक उसको जेल में क्यों रखा जाय । लेकिन छोटे -मोटे मामले में ही जमानत मिलता है। गैर जमानती मामले, जैसे – हत्या, लूट, बलात्कार आदि मामलों में जमानत नहीं मिलता ।
प्रश्न 2. इस कहानी में विनोद का जुर्म जमानती है या गैर -जमानती ?
उत्तर – इस कहानी में विनोद का जुर्म जमानती है ।
प्रश्न 3. चोरी, डकैती, कत्ल जैसे जुर्मों को गैर -जमानती क्यों माना गया है ?
उत्तर – चोरी, डकैती, कत्ल जैसे जुर्म गम्भीर जुर्म की श्रेणी में आते हैं । ऐसे जुर्म करने वालों को यदि जमानत दे दिया जाय तो ये भाग भी सकते हैं। फिर इनको पकड़ पाना कठिन होता है। इसीलिए ऐसे जुर्म को गैर-जमानती रखा गया है।
(पृष्ठ –62 )
प्रश्न 1. आरोपी को आरोप पत्र की कॉपी मिलना क्यों जरूरी है ?
उत्तर – आरोपी को आरोप पत्र की कॉपी मिलना इसलिए जरूरी है क्योंकि उसके पास यह प्रमाण रहना चाहिए कि उसने आरोप लगाया है और क्या आरापे लगाया है ।
प्रश्न 2. किसी भी मामले में दोनों पक्षों के वकील का होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – किसी भी मामले में दोनों पक्षों को वकील रखना इसलिए आवश्यक हाता है कि अदालत में कानून के आधार पर निर्णय होता है। कानून की जानकारी वकीलों को ही होती है । वे उसी आधार पर अदालत में बहस करते हैं। आरोपी पक्ष का वकील आरोप सिद्ध करना चाहता है जबकि बचाव पक्ष का वकील अपने मुवकील को निर्दोष साबित करने का प्रयास करता है
प्रश्न 3. किसी भी मुकदमे में गवाहों को पेश करना व उनसे पूछताछ करना क्यों जरूरी है ?
उत्तर – किसी भी मुदकमें में गवाहों को पेश करना और पूछताछ करना इसलिए जरूरी होता है कि गवाहों पर ही अदालत विश्वास करती है । यदि . गवाह गलत बोलता है तो बचाव पक्ष का वकील उससे क्रॉस कर यह सिद्ध करने की कोशिश करता है कि वह झूठ बोलता है । लेकिन यह अदालत पर निर्भर करता है कि वह गवाह पर कितना विश्वास करता है ।
प्रश्न 4. पुलिस और मजिस्ट्रेट के काम में क्या अंतर है ?
उत्तर – पुलिस का काम है कि आरोपी को पकड़े और उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित करे । इस प्रकार स्पष्ट है कि पुलिस आरोपी को पकड़ती है और मजिस्ट्रेट न्याय करता है। कसूर के अनुसार वह आरोपी को सजा देता है । यदि आरोप सिद्ध नहीं हो तो उसे रिहाकर देता है।
(पृष्ठ –64 )
प्रश्न 1. अपील के प्रावधान का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर – अपील का प्रावधान इस उद्देश्य से रखा गया है कि गलती से कोई निपराधी को सजा न हो जाय। इसलिए सजा पाये व्यक्ति को यह अधिकार है कि निर्णय से असंतुष्ट हो तो वह ऊपर की अदालत में अपील कर सकता है। वहाँ कागजातों की फिर से जाँच होती है और पक्ष या विपक्ष में निर्णय दिया जाता है ।
प्रश्न 2. ऊपर की अदालतों द्वारा अपील के मामले में दिए गए फैसले नीचे की अदालत को क्यों मानने पड़ते हैं ?
उत्तर – ऊपर की अदालतें नीचे की अदालतों से अधिक शक्ति सम्पन्न होती हैं। वहाँ सावधानी पूर्वक कागजातों की जाँच की जाती है । निर्णय संविधान के प्रावधानों के विपरीत हुआ तो फैसला बदल भी जाता है और उसे नीचे की अदालत को मानना पड़ता है ।
प्रश्न 3. कई मुकदमे कई साल तक चलते हैं । ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर – कुछ तो न्यायाधीश की ढिलाई और कुछ वकीलों की कांईयापनी के कारण भी तारीख पर तारीख पड़ते जाता है और हर तारीख पर वकीलों की आय बढ़ती जाती है । अतः वे ऐसी नीति अपनाते हैं कि मामला लम्बा खींचे।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. इस पाठ को पढ़ने के बाद क्या आपको न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष लगी ? यदि हाँ तो उन बिन्दुओं की सूची बनाइए जिससे न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पता चलती है ।
उत्तर – मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे देश में न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष है । निम्नलिखित बिन्दुओं से यह सिद्ध होता है :
(i) विनोद मारपीट करता है और अवधेश का हाथ तोड़ देता है ।
(ii) अवधेश थाने में मुकदमा करता है ।
(iii) गवाहों की गवाही के आधार पर सत्र न्यायाधीश ने सजा दे दी।
(iv) उच्च न्यायालय में अपील के बावजूद विनोद की सजा बहाल रही ।
(v) विनोद को सजा मिली और अवधेश को न्याय मिला ।
प्रश्न 2. क्या न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित किया जा सकता है? अपने उत्तर को कारण सहित लिखिए ।
उत्तर – नहीं, न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित नहीं किया जा सकता । कारण कि एक अदालत के ऊपर भी अदालत है । न्यायाधीश को डर रहता है कि यदि गलत निर्णय दिया गया तो ऊपर की अदालत से वह निरस्त हो जाएगा ।
प्रश्न 3. पाठ के आधार पर निम्नलिखित कामों के बारे में तालिका पूरा कीजिए। आप यह भी बताइए कि न्याय दिलाने के मामले में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका किसकी है और क्यों ?
उत्तर :
दीवानी पुलिस
-प्रथम रिपोर्ट दर्ज करना
अपराधी को पकड़ना
न्यायालय के समक्ष उपस्थित करना
आरोप बताना ।
वकील
-अपने -अपने पक्ष में सबूत पेश करना व उनकी जाँच -पड़ताल करना ।
गवाह उपस्थित करना
गवाही दिलवाना
बचाव पक्ष के वकील का जिरह करना ।
न्यायाधीश
— मुकदमे को सुनना
सबकी तर्कों को सुनना और लिख लेना
अपराध निर्धारित करना
सजा देना या रिहा कर देना ।
प्रश्न 4. अध्याय में दी गई जानकारियों के आधार पर निम्न तालिका को भरिए ।
प्रश्न 5. मान लो आप एक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं । न्याय देते समय आप किन -किन बातों को ध्यान रखेंगे ?
उत्तर – उच्च न्याया के न्यायाधीश के रूप में सदा ख्याल रखूँगा कि कोई भी अपराधी सजा से बचने नहीं पाए। उसी तरह यह भी ध्यान रखूँगा कि कोई निरपराध व्यक्ति को सजा नहीं होने पाये ।
प्रश्न 6. भारत में अपनायी जाने वाली न्यायिक प्रक्रिया में क्या – क्या कमियाँ हैं ? इन कमियों को दूर करने के लिए क्या -क्या करना चाहिए?
उत्तर – भारत में अपनाई जाने वाली न्यायिक प्रक्रिया में अनेक कमियाँ हैं। लेकिन सबसे बड़ी कमी है मुकदमों का लम्बे समय तक टालते रहना ।
न्याय में इतना विलम्ब होता है कि न्याय पाने वाला कभी -कभी मृत्यु को प्राप्त हो गया रहता है । यह न्याय न मिलने जैसा हो जाता है ।
इस कमी को दूर करने के लिए यह कानून से निश्चित कर दिया जाय कि किसी मुकदमे की सुनवाई एक सीमित समय के अन्दर पूरी कर ली जाय।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. न्यायपालिका के कामों को मोटे तौर पर कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर – न्यायपालिका के कामों को मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है :
(i) विवादों का निबटारा,
(ii) न्यायिक समीक्षा तथा
(iii) कानून की रक्षा और मौलिक अधिकारों का संरक्षण और क्रियान्वयन ।
प्रश्न 2. न्यायपालिक की स्वतंत्रता से क्या आशय है ?
उत्तर – न्यायपालिका की स्वतंत्रता से आशय है कि वह व्यवस्थापिका या कार्यपालिका दोनों के दबाव के दायरे से बाहर है।
प्रश्न 3. भारत में अदालतों की संरचना कैसी है ?
उत्तर – भारत में अदालतों की संरचना में सबसे नीचे निचली अदालतें या जिला अदालते हैं। जिला अदालतों के ऊपर प्रत्येक राज्य में उच्च न्यायालय हैं । सबसे ऊपर केन्द्र में सर्वोच्च न्यायालय है । सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में अवस्थित है ।
प्रश्न 4. ‘अपील‘ किसे कहते हैं?
उत्तर – निचली अदालतों के निर्णय से असंतुष्ट पक्ष ऊपर की अदालत में जो बाद उपस्थित करता है उसे ‘अपील’ कहते हैं।
प्रश्न 5. क्या हर व्यक्ति अदालत में जा सकता है ?
उत्तर – हाँ, नियमतः हर व्यक्ति अदालत में जा सकता है।
प्रश्न 6. जो व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह असहाय और गरीब है, वह कैसे अदालत में जा सकता है ?
उत्तर – गरीब और असहाय व्यक्तियों को न्याय दिलाने के लिए अनेक संस्थाएँ हैं जो ‘जनहित याचिका दायर कर गरीब असहायों को न्याय दिला देती हैं।
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