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4. कानून की समझ
पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. माना कि किसी का भाई केन्द्रीय मंत्री है और वह धनी – मानी भी है । इस आधार पर उस व्यक्ति को यह अधिकार मिल जाता है कि वह किसी की हत्या कर दे और उसका भाई मंत्री उसे देश से बाहर भाग जाने में मदद करे ?
( पृष्ठ 38 )
उत्तर – नहीं, किसी व्यक्ति का भाई या कोई सम्बन्धी मंत्री ही क्यों न हो, उसे किसी की हत्या करने का अधिकार नहीं है । इस स्थिति में उसका भाई मंत्री यदि उसे देश से बाहर भाग जाने में मदद करता है तब वह मंत्री भी दोषी कहलाएगा। कानून के अनुसार उसपर भी मुकदमा चलाया जाएगा।
(पृष्ठ – 39 )
प्रश्न 1. कानून बनाते समय संविधान की किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर – कानून बनाते समय संविधान के उन प्रावधानों पर ध्यान रखना चाहिए, जिस आधार पर यह कानून बन रहा हो । यदि कानून संविधान सम्मत नहीं होगा तो सर्वोच्च न्यायालय से वह निरस्त हो जाएगा ।
प्रश्न 2. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 39 पर छोड़े गए पीले स्थान पर बाल – मजदूरी के विरुद्ध अभियान से सम्बंधित पोस्टर बनाना है ।
संकेत : छात्र स्वयं बनावें ।
(पृष्ठ – 46 )
प्रश्न 1. अपनी शिक्षिका की मदद से कुछ ऐसे कानूनों की सूची बनाएँ जो जनता के दबाव में वापस ले लिए गए।
संकेत : अपनी शिक्षिका या अपने शिक्षक से मदद लेकर चर्चा कीजिए ।
प्रश्न 2. पता लगाइए कि हमारे देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर क्या कभी अंकुश लगाया गया था ?
उत्तर – 1974 और 1976 के बीच हमारे देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया था। बिहार में 1980 में ‘बिहार प्रेस बिल’ नाम से राज्य में प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगी थी ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. कानून के शासन से आप क्या समझते हैं? एक उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर – जिस व्यवस्था से समाज या रामाज के समूह को शांतिपूर्ण ढंग से रहने का अधिकार मिलता है, उसे कानून कहते हैं। कानून के कारण ही समाज व्यवस्थित ढंग से जीवन व्यतीत करता है ।
उदाहरण के लिए देश के किसी भी स्थान पर जाकर नागरिकों को अधिकार है कि वे रोजी कमाएँ । कानून से ऐसी मान्यता है। नागरिकों को कहीं जाने, रोजी कमाने या कहीं बस जाने का अधिकार है । इस अधिकार में कोई अड़ंगा नहीं लगा सकता । यदि कोई ऐसा करता है तो सरकार से सजा दिलाएगी ।
प्रश्न 2. भारत में कानून बनाने की प्रक्रिया की मुख्य बातों को अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर – कानून बनाने के लिए एक मसौदा बनता है, जिसे विधेयक कहते हैं। विधेयक को लोकसभा में पेश किया जाता है। उस विधेयक पर पक्ष और विपक्ष पर बहस होती है। सरकारी पक्ष विधेयक के समर्थन पर बोलते हैं, जबकि विपक्षी दल उसकी खामियों की ओर ध्यान दिलाता है। यदि संशोधन आवश्यक समझा गया तो विधेयक में संशोधन कर दिया जाता है और विधेयक पारित होता है । उस विधेयक को राज्यसभा में भेजा जाता है । वहाँ भी पक्ष – विपक्ष में बहस होती है । वहाँ से पारित विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है । राष्ट्रपति का हस्ताक्षर होता है। इसके बाद वह विधेयक कानून का रूप धारण कर लेता है ।
प्रश्न 3. आपके विचार में शिक्षा के अधिकार के कानून में किन – किन बातों को शामिल करना चाहिए और क्यों ?
उत्तर – शिक्षा के अधिकार के कानून के अन्तर्गत यह व्यवस्था होनी चाहिए कि प्राथमिक विद्यालय गाँव से एक किलोमीटर से दूर नहीं हो । कारण किइस विद्यालय में पढ़नेवाले छात्रों की उम्र 14 वर्ष से कम ही होती है। फलतः अधिक दूर चलने से बच्चे कतराते नजर आते हैं। भवन सुरक्षित और हवादार हो । जंगले बड़े हों ताकि प्रकाश मिलता रहे । अध्यापक असालतन हों । कारण कि बच्चों को क्या कैसे पढ़ाया जा रहा है, वह अच्छी तरह समझ चुका होता है । शिक्षकों को अपराह्न भोजन बनाने और खिलाने से मुक्त रखा जाय, ताकि वह पढ़ाने पर अधिक ध्यान दे सकें । सर्व शिक्षा अभियान में मुफ्त मिलने वाली पुस्तकें समय पर पहुँच जायँ। ग्राम पंचायत के मुखिया ध्यान रखें वि 14 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चे विद्यालय जायँ ।
प्रश्न 4. अगर किसी राज्य या केन्द्र की सरकार ऐसा कोई कानून बनाती है जो लोगों की जरूरतों के अनुसार न हो, तो आम लोगों को क्या करना चाहिए ?
उत्तर – ऐसी स्थिति में लोगों को चाहिए कि वे अपने प्रतिनिधि से मिलें और उनसे अनुरोध करें कि सदन में इस बात को उठावें। इसके बाद उस कानून के विरोध में सभा करें, प्रदर्शन करें, धरना दें और इतने पर भी सरकार नहीं सुनती तो उपवास पर बैठें। यदि कोई उपाय कारगर न हों तो अगले चुनाव में अपने प्रतिनिधि को बदल दें।
प्रश्न 5. मान लीजिए आप ‘प्रतिरोध‘ नामक महिला संगठन के सदस्य हैं और आप बिहार राज्य में शराब बंदी पर कानून लागू करवाना चाहते हैं । इस विषय में अपने राज्य के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन लिखिए जिसमें शराब बंदी के कानून की आवश्यकता के बारे में बताया गया हो ।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,
राज्य सरकार, बिहार
विषय : शराब बन्दी कानून बनवाना
मान्यवर महोदय !
सादर अनुरोध है कि बिहार राज्य में शराब बन्दी कानून बनाना और लागू करवाना आवश्यक हो गया है।
गरीब परिवारों को इससे बड़ी असुविधा हो रही है। घर का मुखिया जो भी आय अर्जित करता है उसको शराब पर व्यय कर देता है । घर में खाने का सामान नहीं खरीदता है, उल्टे रात में नशे की हालत में आता है और खाना माँगता है। मजबूरी में खाना न देने पर पत्नी को पीटता है, पत्नी ही नहीं, कभी -कभी बच्चों को भी पीट देता है । पूरा परिवार बिना कुछ खाए, निराहार सो जाता है। कारण कि घर में खाने के लिए कुछ रहता ही नहीं ।
अतः श्रीमान से सादर प्रार्थना है कि गरीबों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए शराब बंदी कानून बनवाने और यथाशीघ्र उसे लागू करवाने की कृपा करें ।
दिनांक : 19.04.2012
आपका राजीव रंजन राम
सदस्य
‘विरोध’
प्रश्न 6. अगर पटवारी के पास जमीन दर्ज करवाने का कानून न हो, तो आम लोगों को किन -किन असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है?
उत्तर – अगरी पटवारी (कर्मचारी) के पास जमीन दर्ज करवाने का कानून नहीं रहने पर आम लोगों को काफी असुविधा होगी। उन्हें ब्लॉक ऑफिस से लेकर जिलाधीश के कार्यालय तक नक्कर लगाना पड़ेगा। इसके बाद भी दाखिल खारीज हो सकेगा या नहीं, कहा नहीं जा सकता। आम लोगों को काफी कठिनाई होगी ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. ‘कानून का शासन‘ पद से आप क्या समझते हैं ? अपने शब्दों में लिखिए | अपना जवाब देते हुए कानून के उल्लंघन का कोई वास्तविक या काल्पनिक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – ” कानून का शासन” पद एक वैधानिक अवधारणा है। इसका मतलब होता है कि देश के कानून सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होते हैं तथा देश के लोग उन कानूनों को सामान्यतः मानने को तत्पर रहते हैं । कानून को स्वभावतः मानना और बलपूर्वक उसे जनता से मनवाना, दोनों दो बातें हैं ।
भारत में स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल फूंकते हुए सर्वप्रथम 1857 में मंगल पांडेय ने कानून का उल्लंघन किया था। 1930 में कानून का उल्लंघन दाण्डी में महात्मा गाँधी ने नमक बना कर किया था ।
वैसे देखा जाय तो आज समाज में थोक भाव में कानून का उल्लंघन होने लगा है। ट्रेन लूट, अपहरण, बलात्कार इत्यादि आम बातें हो गई हैं। लगता है कि किसी को किसी कानून का भय ही नहीं है। सरकार और शासन को चेत जाना आवश्यक है। वे अपना आचरण सुधारें और समाज में अमन -चैन कायम करने में सहायता पहुँचाएँ ।
प्रश्न 2. इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते हैं कि कानून का शासन अंग्रेजों ने शुरू किया था । इसके कारणों में से दो कारण बताइए ।
उत्तर – इतिहासकारों द्वारा इस दावे को गलत ठहराना कि भारत में कानून का शासन अंग्रेजों ने शुरू किया था, बहुत ठीक नहीं है। यह सही है कि आरम्भ में अपने को यहाँ स्थापित करने और जनता पर धाक जमाने के लिए कुछ वर्षों तक उन्होंने मनमाना शासन किया, लेकिन उनके ऐसे व्यवहार से थोड़ा भी कम भारत के क्षेत्रीय शासक नहीं थे। कुछ कबिलाई जाति के लोगों का काम ही था राहगीरों की हत्या कर उनका सामान लूट लेना। वैसे भी अंग्रेजों के आने से पूर्व राहजनी आम बात थी । इसी कारण लोग समूह में यात्रा करते थे। तीर्थ यात्री भी समूह में चलते थे । वास्तव में ऐसे दुष्कर्मों को बन्द किया तो अंग्रेजों ने ही वंद किया । अंग्रेजी काल में दिन हो या रात आप कभी भी, कहीं भी अकेले यात्रा कर सकते थे। रास्ते में हिंसक जानवर भले नुकसान पहुँचा सकते थे, लेकिन कोई चोर, उचक्का या वदमाश से आदमी निडर होकर यात्रा करता था। ये देनें अंग्रेजों की ही थीं । आज स्थिति फिर बिगड़ गई है। आज स्वतंत्र भारत में भी अपहरण, हत्या, लूट, वलात्कार आदि का बाजार काफी गर्म है।
प्रश्न 3. घरेलू हिंसा पर नया कानून किस तरह बना, महिला संगठनों ने इस प्रक्रिया में अलग -अलग तरीके से क्या भूमिका निभाई, उसे अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर – सर्वप्रथम महिलाओं के मन में ही यह बात आई कि हिंसा-मुक्त परिवार सवके हित में है । हिंसा मुक्त परिवार के लोग ही शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं। हिंसा की शिकार महिलाओं ने उन सभी स्थानों पर जाकर अपना दुखड़ा का रोना रोया । लेकिन किसी ने कोई खास रुचि नहीं दिखाई। अंततः महिलाओं को ही इसका कमान सम्भालना पड़ा। उन्होंने अपने संगठन बनाए । देश में जो भी मंच उन्हें उपलब्ध हुए, उन सभी मंचों से उन्होंने आवाज उठाई । इसका फल हुआ कि देश के अनेक वकील, कानून के विधार्थी और सामाजिक वैज्ञानिकों के संगठन ‘लायर्स कलेक्टिव’ ने देशव्यापी चर्चा की। तब जाकर घरेलू हिंसा (रोकथाम एवं सुरक्षा) विधेयक का मसौदा वना और इसे बहुतों से पढ़वाया गया। घरेलू हिंसा की परिभाषा को व्यापक रूप दिया गया। कई महिला संगठनों को और राष्ट्रीय महिला आयोग ने संसदीय स्थायी समिति को अपने सुझाव सौंपे। तत्पश्चात संसद में एक दीवानी कानून के तहत विधेयक पास कर दिया। महिलाओं ने चैन की सांस ली। यह कानून इतना महत्त्वपूर्ण था कि महिलाओं ने इसे एक नए युग के शुरूआत की संज्ञा दी ।
प्रश्न 4. अपने शब्दों में लिखिए कि इस अध्याय में आए निम्नलिखित वाक्य से आप क्या समझते हैं :
“अपनी बातों को मनवाने के लिए उन्होंने संघर्ष शुरू कर दिया । यह समानता का संघर्ष था। उनके लिए कानून का मतलब ऐसे नियम नहीं थे जिनका पालन करना उनकी मजबूरी हो। वे कानून को उससे अलग ऐसी व्यवस्था के रूप में देखना चाहते थे जो न्याय के विचार पर आधारित हो ।’
उत्तर – प्रश्न में दिए गए अंश से मैं यही समझता हूँ कि अंग्रेजों के मनमाने कानून से भारतीय ऊब गए थे। उन्होंने ऐसे कानूनों का विरोध करना आरम्भ किया। इसके लिए उन्हें संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ा। यह संघर्ष कोई मामूली नहीं था, बल्कि देशव्यापी और समानता पर आधारित था । वास्तव में भारतीय कोई ऐसा कानून नहीं चाहते थे जिसे किसी पर लादा हुआ कानून जैसा लगे वास्तव में वे ऐसे कानून की आवश्यकता महसूस करते थे जो न्याय की दृष्टि से भी वाजिब समझा जाय ।
प्रश्न 5. भारतीय संविधान में सबसे महत्त्व प्रावधान आप किस प्रावधान को समझते हैं?
उत्तर – भारतीय संविधान में सबसे महत्त्वपूर्ण प्रावधान यह प्रावधान है कि स्वतंत्र भारत में सभी लोग कानून की नज़र में बराबर समझे जाते हैं।
प्रश्न 6. संसद के किसी कानून पर दोबारा विचार कब करना पड़ता है ?
उत्तर – कभी-कभी शीघ्रता में कोई ऐसा कानून पास हो जाता है जिसकी देश में आलोचना होने लगती है । इन आलोचनाओं द्वारा जब संसद पर भारी दबाव पड़ता है तो उसे उस कानून पर दोबारा विचार करना पड़ता है।
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