इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 अंग्रेजी के पाठ चार ‘Too Many People, Too Few Trees(बहुत अधिक लोग, बहुत कम पेड़)’ के प्रत्येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे।
TOO MANY PEOPLE, TOO FEW TREES
(बहुत अधिक लोग, बहुत कम पेड़)
Moti Nisani
MOTI NISANI, a teacher at Waynes State University, USA, is an interdisciplinarian holding degrees in genetics, philosophy and psychology. He has several publications in generics, ecology, politics, science, education, und language instruction. His essay below provides a brief introduction to the twin problem of overpopulation and deforestation.
मोती निशानी, संयुक्त राज्य अमेरिका के वेनीज राज्य विश्वविद्यालय के प्राध्यापक हैं, इनके द्वारा ‘बहुत अधिक लोग, बहुत कम पेड़’ शीर्षक लेख लिखा गया है। उन्हें उत्पत्ति विज्ञान, दर्शनशास्त्र और मनोविज्ञान आदि की उपाधियाँ प्राप्त हैं। उत्पत्ति विषय विज्ञान में जीवन की एक शाखा है जिसका संबंध जीवधारियों का अपने वातावरण संबंधित आदतों से है । यह लेख बढ़ती जनसंख्या और वनोन्मूलन जैसी समस्याओं पर एक संक्षिप्त परिचय है। इन्होंने राजनीतिशास्त्र, शिक्षा तथा भाषा आदि पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं।
TOO MANY PEOPLE, TOO FEW TREES
1.Human populations have always been in flux, for the simple reason that every day some people die while others are born. Throughout most of human existence , the number of births was slightly higher than the number of deaths, consequently, world populations grew at a very slow rate. A few hundred years ago, however, the situation began to change, especially in the industrialized world. With advances in nutrition, sanitation, and health, people live longer and more of them reach reproductive age Thus, for the first time in our species existence, the balance between the number of deaths and births has been significantly disturbed. Consequently, during the last three centuries or so, the global human population has been rapidly going up. Every year, in fact, the world’s population grows by more than 80 million people. It is, for instance, sobering to recall that for every eleven human beings alive now, only one was alive the year 1950!
मानव आवादी लगातार बहाव पर है, साधारण कारण यह है कि प्रत्येक रोज कुछ लोग मरते हैं जबकि अन्य पैदा होते हैं। हरेक जगह मानव का अस्तित्व इसलिए है कि जन्म लेने की संख्या मरने से थोड़ा अधिक है। परिणामतः बहुत धीमी दर से विश्व की आबादी बढ़ रही है। खासकर औद्योगिक संसार में। भोजन, स्वच्छता प्रबध और स्वास्थ्य के लिए लोग साथ-साथ रहते है और उनमें अधिक प्रजनन की अवस्था में पहुँच जाते हैं। इस प्रकार हमारे जैविक अस्तित्व में, मरने की दर और जन्म लेने की दर का संतुलन महत्वपूर्ण ढंग से विचलित हो गया है। परिणामस्वरूप, विगत तीन सदियों में, भूमंडलीय मानवीय आबादी तेजी से बढ़ी है। सचमुच, प्रत्येक वर्ष विश्व की आबादी में 80 लाख की वृद्धि होती है। यह केवल उदाहरण है, शांतिपूर्ण ढंग से देखा जाए तो प्रत्येक ग्यारह व्यक्ति अब जीवित रहते हैं, जबकि 1950 में केवल एक व्यक्ति जीवित रहता था।
2.On first sight, it may appear that, when it comes to something as valuable as a human being, the more we have, the better off we are. In some ways, this is truc. All things being equal, more people are likely to generate more inventions, more technological breakthroughs, and more corporate profits. But, taken as a ecologists are convinced that the world is already overpopulated.
प्रथम दृष्टया, यह दिखाई दे सकता है कि जब यह आता है मानवों के कुछ महत्वपूर्ण लेकर आता है, हमारे पास जो है उससे ज्यादा, या हमसे अच्छा। कुछ समय के लिए । यह सत्य है । सभी चीजें बराबर हैं, अत्यधिक लोग अधिक खोज, अधिक प्रौद्योगिक खोजें
और संगठित मुनाफा उत्पन्न करते हैं। परन्तु, पूरी तरह से देखा जाए तो, अधिकतर जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि संसार में आबादी अत्यधिक बढ़ती जा रही है।
Class 9th English Chapter 4 Too Many People, Too Few Trees Notes
Bihar Board Class 10th Social Science
3.Human populations cannot continue to grow indefinitely for the simple the world itself is finite. More people will need even more food than they n and therefore, the process of deforestation will continue so that, eventually, will vanish. As the population goes up, so does pollution of rivers, lakes, air, drinking water and soil With more people both town and country become more crowded. quality of life and the value we place on human life, will continue to erode. When population if the sales in such things as food production, number of physicians, or hospitals are often tantamount to improved quality of life, but such increases often fail to keep pace with population growth. Higher population density is also likely to exacerbate crime, ethnic conflicts, and warfare.
मानवीय जनसंख्या का बढ़ना साधारण कारण से अनंत काल तक नहीं चल सकता है क्योंकि संसार सीमित है। अधिक लोगों को अधिक भोजन की आवश्यकता होगी जो इन्हें आज मिलती हैं और इस प्रकार वनोन्मूलन की प्रक्रिया चलती रहेगी, इस प्रकार स्वाभाविक रूप से बड़े-बड़े वृक्ष समाप्त होते रहेंगे। जैसा कि आबाद (जनसंख्या) बढ़ती है तो वह नदी, झील, हवा, पेयजल और मिट्टी को भी प्रदूषित करती है। अधिक आबादी के कारण शहर और गाँव अधिक भीड़-भाड़ वाले हो गये हैं। जीवन की विशेषता और मानव जीवन का महत्व नष्ट होता चला जायेगा। जब जनसंख्या स्थिर है, भोजन का उत्पादन, डॉक्टर या अस्पताल इन चीजों की आवश्यकता जीवन स्तर को सुधारने के लिए आवश्यक हो जाती है, परन्तु इस प्रकार की वृद्धि भी आबादी के बराबर वृद्धि को रोकने में असफल हो जाते हैं। जनसंख्या का अधिक बढ़ता घनत्व अपराध, लड़ाई-झगड़ा और युद्ध को भी आमंत्रण देता है।
4.The American government, to take another example, estimates that some 60,00 Americans die each year from respiratory diseases which are in turn caused by human made pollution. Fourteen Americans die each day of asthma aggravated by air pollution three times the incidence of just twenty years ago. Needless to say, the situation i cities like Los Angeles, Kathmandu, Mexico, and Shanghai is even worse. In all the cases, the situation could be considerably improved by controlling pollution an population.
दूसरा उदाहरण लें, अमेरिकी सरकार ने अनुमान लगाया है कि साँस की बीमारी। से प्रत्येक वर्ष 60,000 अमेरिकावासियों की मौत हो जाती है जो मानव-निर्मित प्रदूषण के कारण होती है। प्रत्येक दिन चौदह अमेरिकी दमा की बीमारी से जो वायु प्रदूषण से होती है। इस कारण मरते हैं—मात्र बीस वर्ष पूर्व यह घटना तीन बार हो चुकी है। कहने की आवश्यकता नहीं, लॉस एंजेल्स, काठमांडू, मैक्सिको और संघायी जैसे शहरों की स्थिति और भी खराब है। इन सभी स्थितियों में, प्रदूषण और जनसंख्या को रोक कर ही स्थिति को सुधारा जा सकता है।
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5.Moreover, the world, as we have seen, faces such frightening problems desertification, depletion of nonrenewable resources (e.g., patrol, natural gas, helium acid rain, loss of wild species, ozone layer depletion, and the greenhouse effect. United Nations 1993 document puts it this way: “Population size and rates of growth are key elements in environmental change. At any level of development, increase populations increase energy use, resource consumption and environmental stress So, the more people the world has, the more severe these problems are likely to become.
इसके अतिरिक्त, जैसा कि हमने देखा है, संसार गरुस्थल, पुननिर्मितन होनेवाले साधनों की समाप्ति (पेट्रोल, नेचुरल गैस, हीलियम), अम्ल वर्षा, जंगली जन्तुओं का लोप, ओजोन परत में छिद्र और ग्रीन हाउस प्रभाव जैसी भयभीत करनेवाली समस्याओं का सामना कर रहा है। संयुक्त राष्टसंघ की 1993 का दस्तावेज इसे इस प्रकार पेश करता है, “जनसंख्या का आकार और इसके बढ़ने की दर वायुमंडलीय बदलाव के मुख्य तत्व हैं। किसी भी स्तर के विकास में, बढ़ी आबादी ऊर्जा के उपयोग, संसाधनों उपयोग और वायुमंडलीय तनाव को बढ़ाती है।” इसलिए, संसार में अधिक लोग हैं, इसलिए ये समस्याएँ अधिक असहनीय बन गई हैं।
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The Pace For Living Chapter in Hindi
6.Thus large and rapidly growing populations make decisive contributions to all environmental problems. In the long run, efforts to save the biosphere depend in pun on our species’ ability to roll back its numbers Yet there is a bright side to this otherwise grim tale: History and common sense tell us that we can control population growth. The German and Swedish populations, for example, defy world trends and are actually declining. In such overpopulated countries like China, Thailand, and Egypt the rate of population growth has slowed down remarkably, thanks to concerted government actions. How do these countries manage to reverse, or slow down, population growth? Many factors account for these remarkable declines: modernization, literacy, media campaigns, readily available family planning and contraceptives, equal economic, educational, and legal opportunities for women. Human beings thus know how to control their numbers. What they have been lacking so far is the resolve to make use of this knowledge.
इस प्रकार वृहद और तेजी से बढ़ती जनसंख्या सभी वायुमंडलीय समस्याओं में निर्णायक सहयोग देती है। लम्बे समय में जीवन चक्र बचाने की कोशिशें हमारे जन्तुओं की संख्या को पुनः वापस करने की क्षमता के हिस्सों पर निर्भर है। अब तक इस अलग ढंग के कठोर कहानी का वृहद हिस्सा है। इतिहास और सहज बुद्धि हमें बताते हैं कि हम आबादी की वृद्धि को रोक सकते हैं। उदाहरण के लिए जर्मन और स्वीडीश की आबादी संसार की प्रवृत्ति को झूठा साबित कर दिया है आर वास्तव में रोक दिया है। चीन, थाइलैंड और मिन जैसे अत्यधिक घनी आबादी वाले देशों ने अप्रत्याशित ढंग से जनसंख्या वृद्धि को कम किया है। संबंधित सरकारों के सुनियोजित प्रयास को धन्यवाद । ये सब देश जनसंख्या वृद्धि को रोकने तथा कम करने का प्रयास कैसे किए? इस कमी के लिए बहुत तथ्य उत्तरदायी है जैसे आधुनिकीकरण, शिक्षा, समाचारपत्रों का सहयोग, तैयार निर्मित परिवार नियोजन और गर्भ-निरोधक, महिलाओं के लिए बराबर आर्थिक, शैक्षणिक और वैधानिक अवसर । मानव इस प्राकर जान सके कि वे अपनी संख्या को कैसे रोकें। उन्हें इस तरह के ज्ञान को हल करने में किस चीज की कमी हो रही है।
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7.Let us move to another long-term problem: the state of the world’s trees. Owing to rapid population growth, poverty and other factors, many third world people are forced to move into harvest, clear, burn, or cultivate tropical forest. Thus, population pressure-along with new technologies and the affluent lifestyle of some people – exacerbeate the problem of deforestation. A country like Nepal has just so much arable land. So as the population grows, more and more people are forced to convert forests into cut down more and more trees for fuel. The people of rich To satisfy Westerners’ insatiable demands for hamburgers, more and more tropical rain forest in countries like Brazil are cleared and converted to pastures. Some rich people also buy mahogany furniture, newspapers, and other paper products in vast quantities. It is frightening to recall, for instance, how many trees must be felled to just product the Sunday edition of the New York Times! Many forests are also damaged by pollution, tourism, construction of houses and factories, and similar practices. Moreover, the productivity and general health of the world’s forests is threatened by such things as the greenhouse effect, ozone layer depletion, airborne pollution, and acid rain.
हम दूसरी बड़ी समस्या की ओर मुड़ें, संसार में वृक्षो की स्थिति पर। आबादी के बढ़ते रफ्तार, गरीबी और अन्य कारकों की वजह से संसार के हर तीसरे लोग जलावन और खेती के लिए उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र के वनों की ओर जाने को बाध्य है। इस प्रकार जनसंख्या का दबाव-नई टेक्नोलॉजी और अमीरों के जीवन शैली के साथ वनोन्मूलन की समस्या पैदा करती है। नेपाल जैसे देश में मात्र बहुत थोड़ा कृषियोग्य भूमि है। इसलिए, जैसे-जैसे आबादी बढ़ती है अधिक-से-अधिक लोग वनों को कृषियोग्य भूमि में परिणत कर देते हैं। वे अधिक-से-अधिक वृक्षों को जलावन के लिए काट डालते हैं। धनी देशों के लोग भी दोषी हैं। पश्चिम के लोगों के अतृप्त माँगों को पूरा करने के लिए तथा उन्हें संतुष्ट करने के लिए बाजील जैसे देशों में उष्ण कटिबंधीय वर्षा के जंगलों को साफ किया जा रहा है। कुछ धनी लोग महोगनी के फर्निचर, समाचारपत्र और अन्य पेपर की सामग्रियाँ अत्यधिक मात्रा में माँग करते हैं। यह स्मरण भयभीत करनेवाला है। उदाहरण-न्यूयॉर्क टाइम्स के रविवार के अंक के प्रकाशन में कितने वृक्ष गिराये जाते हैं। बहुत-से वन प्रदूषण, पर्यटन, मकान और फैक्ट्री बनाने और इसी तरह के कार्यों से भी बर्बाद हुए। इसके अतिरिक्त, संसार के वनों की उपजाऊ शक्ति और सामान्य स्वास्थ्य ग्रीनहाउस प्रभाव, ओजोन परत में छिद्र, वायुजनित प्रदूषण और अम्लवर्षा जैसे वस्तुओं से भयभीत रहता है।
8.The deforestation crisis is not new. Many earlier civilizations, including those of the Middle East, New Mexico, and Easter Island, precipitated their own decline through overpopulation and deforestation. The difference is that we are destroying our forests faster, and on a larger scale, than ever before.
वनोन्मूलन की समस्या नई नहीं है । मध्य-पूर्व, न्यू मैक्सिको और पश्चिमी आइलैंड सहित पूर्व की अनेक सभ्यताओं में जनसंख्या का बोझ और वनोन्मूलन के रूप में अपनी कमजोरी दिखाई थी। अन्तर यह है कि पहले की अपेक्षा हम अपने वनों को तेजी से और वृहत पैमाने पर बर्बाद कर रहे है।
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What is Wrong with Indian Films Lecture
9.Earlier in this century, forests covered around 40% of the earth’s total land area. By this century’s end, that figure will stand at about 25%. The destruction of forest, in turn contributes to such things as the greenhouse effect, irreversible loss of many thousands of species of plants and animals, landslides, soil erosion, siltation of rivers and dams, droughts, and weather extremes. For instance, as the trees of Nepal are cut down, its topsoil is gradually being lost and its rains are likelier to cause devastating floods in India and Bangladesh.
सदी के आरम्भ में, पृथ्वी के संपूर्ण क्षेत्र के 40% भाग में वन थे। इस सदी के अंत होते-होते, यह 25% तक रह जायेगा। इस प्रकार वन का विनाश इन चीजों जैसे ग्रीनहाउस प्रभाव, पौधों और जानवरों के हजारों जीवों के विनाश, भूस्खलन, भूक्षरण, नदियों और पौधों के कटाव, सूखा और मौसम में बदलाव के रूप में बदलने में सहयोग करता है। उदाहरण के लिए जैसा कि नेपाल के पेड़ करते हैं, इसकी ऊपरी सतह धीरेधीरे खत्म होती है और वहाँ होनेवाली वर्षा भारत और बंगलादेश को बाढ़ के रूप में उजाड़ देती है।
10.The eventual consequences of massive and ongoing deforestation are uncertain, but they are likely to damage the quality of life on earth, reduce the number of life forms that share the planet with us, and hamper the ability of the biosphere to sustain life. Humanity can continue to fell trees, cross its fingers, and hope for the best. Or it can take hold of its future and reverse the process of deforestation.
वनोन्मूलन के दीर्घकालिक महत्वपूर्ण परिणाम अनिश्चित है, परन्तु वे पृथ्वी पर के जीवन की विशेषताओं को नुकसान पहुंचाते हैं, वे ग्रहों को हमारे साथ भागीदार जीवों की वृद्धि को कम करते हैं, और जीवों के जीवन के बोझ ढोने की शक्ति में बाधा डालते हैं। मानव पेड़ों को घटाना जारी रख सकता है, इसकी शोखाओं को बर्बाद कर सकता है और अपनी भलाई की भी आशा करता है। या यह अपने भविष्य को पकड़कर रख सकता है और वनोन्मूलन की विधि को पलट सकता है। Class 9th English Chapter 4 Too Many People, Too Few Trees Notes