इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड के वर्ग 10 के पद्य भाग के पाठ 1 (Tu Jinda Hai To) “ तू जिन्दा है तो……..” के व्याख्या को पढ़ेंगे, इस पाठ के कवि शंकर शैलेन्द्र है |कविता परिचय- ’तू जिन्दा है तो……. ’ प्रस्तुत कविता गहरे जीवन राग और उत्साह को प्रकट करती है ।
1. तू जिन्दा है तो…….. (Tu Jinda Hai To……..)
कवि – शंकर शैलेन्द्र
कविता परिचय- ’तू जिन्दा है तो……. ’ कविता गहरे जीवन राग और उत्साह को प्रकट करती है । इस जीवन राग में अतीत के दुखदायी पलों को भूलकर आशा और जीत की नई दुनिया का स्वागत करने की प्रेरणा है।
1. तू जिन्दा है तो…….. (Tu Jinda Hai To……..)
तू जिन्दा है तो……..
तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत में यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
ये गम के और चार दिन, सितम के और चार दिन
ये दिन भी जायेंगे गुज़र, गुज़र गये हज़ार दिन
कभी तो होगी इस चमन पे भी बहार की नज़र
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिन्दा है तो…………
सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर,
तू सुन ज़मीन गा रही है कब से झूम-झूम कर
तू आ मेरा सिंगार कर तू आ मुझे हसीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू जिन्दा है तो….
हजार भेष घर के आई मौत तेरे द्वार पर
मगर तुझे न छल सकी, चली गई वो हारकर
नई सुबह के संग सदा तुझे मिली नई उमर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिन्दा है तो….
हमारे कारवां को मंजिलों का इंतजार
ये आँधियों, ये बिजलियों की पीठ पर सवार है
तू आ कदम मिला के चल, चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू जिन्दा है तो……..
जमी के पेट में पली अगन, पले हैं ज़लज़ले
टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये
मुसीबतों के सर कुचल, चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिन्दा है तो…..
बुरी है आग पेट की, बुरे हैं दिल के दाग ये
न दब सकेंगे, एक दिन बनेंगे इंकलाब ये
गिरेंगे जुल्म के महल, बनेंगे फिर नवीन घर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू जिन्दा है तो…..
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