इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के अर्थशास्त्र के पाठ छ: ‘वैश्वीकरण (Vaishvikaran Economics)’ के सभी महत्वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें।
Bihar Board Class 10 Economics पाठ छ: वैश्वीकरण – Globalization
बीसवीं शताब्दी के नौवें दशक से विश्व बाजार में एक युग की शुरूआत हुई है। जिसे वैश्वीकरण (Globalization) कहते हैं। वैश्वीकरण के अंतर्गत पूरी दुनिया का बाजार एक-दूसरे के लिए मुक्त हो गया है।
पहले मोटर साइकिल में राजदूत, एजडी तथा कार में फिएट तथा एम्बेस्डर ही चला करती थी। आज वैश्वीकरण के कारण छोटे-से शहरों की सड़कों पर भी नयी-नयी किस्म की गाड़ियाँ चलती है।
वैश्वीकरण क्या है ?
वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का समन्वय या एकीकरण किया जाता है ताकि वस्तुओं एवं सेवाओं, प्रौद्योगिकी, पूँजी और श्रम या मानवीय पूँजी का भी निर्बांध प्रवाह हो सके। वैश्वीकरण के अंतर्गत पूँजी, वस्तु तथा प्रौद्योगिकी का निर्बाध रूप से एक देश से दूसरे देश में प्रवाह होता है।
निजीकरण- निजीकरण का अभिप्राय, निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वामित्व प्राप्त करना तथा उनका प्रबंध करना है। आर्थिक सुधारों के अंर्तगत भारत सरकार ने सन् 1991 से निजीकरण की नीति अपनाई।
उदारीकरण- उदारीकरण का अर्थ सरकार द्वारा लगाए गए सभी अनावश्यक नियंत्रणों तथा प्रतिबंधों जैसे- लाइसेंस, कोटा आदि को हटाना है। आर्थिक सुधारों के अंर्तगत भारत सरकार ने 1991 से उदारीकरण की नीति अपनाई।
बहुराष्ट्रीय कंपनी- बहुराष्ट्रीय कंपनी वह है, जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण व स्वामित्व रखती है। जैसे- फोर्ड मोटर्स, सैमसंग, कोका कोला, नोकिया, इंफोसिस, टाटा मोटर्स आदि।
वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रोत्साहन
- प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि
- नई-प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायक
- अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति
- नये बाजार तक पहुँच
- उत्पादन तथा उत्पादिता के स्तर को उन्नत करना
- बैंकिग तथा वित्तीय क्षेत्र में सुधार
- मानवीय पूँजी की क्षमता का विकास
बिहार में वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव
- कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों की उपेक्षा
- कुटीर एवं लघु उद्योगों पर विपरीत प्रभाव
- रोजगार पर विपरीत प्रभाव
- आधारभूत संरचना के कम विकास के कारण कम निवेश
आम आदमी पर वैश्वीकरण का अच्छा प्रभाव
- उपयोग के आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता
- रोजगार की बढ़ी हुई संभावना
- आधुनिकतम तकनीक की उपलब्धता
आम आदमी पर वैश्वीकरण का बुरा प्रभाव
- बेराजगारी बढ़ने की आशंका
- उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्र में बढ़ती हुई प्रतियोगिता
- श्रम संगठनों पर बुरा प्रभाव
- मध्यम एवं छोटे उत्पादकों की कठिनाई
- कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र का संकट
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