इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 7 संस्कृत के पाठ 1 ‘वन्दना (नमः तथा नमामि के प्रयोग) (Vandana class 7 sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
प्रथमः पाठः
वन्दना
(नमः तथा नमामि के प्रयोग)
पाठ- परिचय — प्रस्तुत पाठ ‘वन्दना’ में सृष्टिकर्त्ता प्रभु की महानता का वर्णन किया गया है। परमात्मा की यह वन्दना विभिन्न पौराणिक श्लोकों में की गई है। ईश्वर ही संसार के सारे कार्यों का संचालक है। उसी की कृपा से सुख-शांति की प्राप्ति होती है मनुष्य उसी की कृपा से सद्ज्ञान प्राप्त करता है । वह भक्तवत्सलं तथा जग का कल्याण करनेवाला है । इसलिए सबका कर्तव्य है कि उस महान् प्रभु की वन्दना करें ।
नमस्ते विश्वरूपाय प्राणिनां पालकाय ते ।
जन्म-स्थिति-विनाशाय विश्ववन्द्याय बन्धवे ॥1॥
अर्थ- हे विश्वरूप ! प्राणियों के पालनकर्त्ता, संसार की रचना तथा विनाश करनेवाले, जगत्-वन्दनीय प्रभु! आपको नमस्कार है ।
प्रसादे यस्य सम्पत्तिः विपत्तिः कोपने तथा ।
नमस्तस्मै विशालाय शिवाय परमात्मने ॥2॥
Vandana class 7 sanskrit
अर्थ — जिसके प्रसन्न होने पर या जिसकी कृपा से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और क्रोध करने पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ता है उस महान परमात्मा शिव को अथवा मंगल के लिए नमस्कार है ।
ज्ञानं धनं सुखं सत्यं तपो दानमयाचितम् ।
प्रसादे यस्य लभते मानवस्तं नमाम्यहम् ॥3॥
अर्थ — मनुष्य को जिसके प्रसन्न (कृपा) होने पर बिना माँगे ज्ञान, धन, सुख, सत्य,
तपस्या तथा दान प्राप्त होते हैं उस महान् प्रभु की मैं प्रार्थना करता हूँ ।
नमामि देवं जगदीशरूपं स्मरामि रम्यं च जगत्स्वरूपम् ।
वदामि तद्-वाचक-शब्दवृन्दं महेश्वरं देवगणैरगम्यम् ||4||
अर्थ- संसार के स्वामी प्रभु को नमस्कार है जिसने इतने सुन्दर संसार की रचना की है। और उस परमेश्वर का स्मरण करता हूँ जो देवताओं द्वारा न प्राप्त होने योग्य होते हुए भी हमें प्राप्त हो जाता है अर्थात् जिसकी कृपा से हमें सद्-असद् का ज्ञान प्राप्त होता है, मैं उसे नमस्कार करता हूँ और स्मरण करता हूँ ।
Vandana class 7 sanskrit
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