इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के वर्ग 10 के इतिहास (History) के पाठ 7 (Vyapar aur Bhumandalikaran) “व्यापार और भूमंडलीकरण” के बारे में जानेंगे । इस पाठ में व्यापार और भूमंडलीकरण के प्रभाव के बारे में बताया गया है ।
7. व्यापार और भूमंडलीकरण (Vyapar aur Bhumandalikaran)
विश्व बाजार- उस तरह के बाजारों को हम विश्व बाजार कहेंगे जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएँ आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हो। जैसे- भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई।
वाणिज्यिक क्रांति- व्यापार के क्षेत्र में होने वाला अभूतपूर्व विकास और विस्तार जो जल और स्थल दोनों मार्ग से सम्पूर्ण विश्व तक पहुँचा। इसका केन्द्र यूरोप ( इंगलैंड ) था।
औद्योगिक क्रांति- वाष्प शक्ति से संचालित मशीनों द्वारा बड़े-बड़े कारखानों में व्यापक पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन। इसका केन्द्र इंग्लैण्ड था वह 1750 के बाद आरंभ हुआ।
साम्राज्यवाद- यूरोपीय देशों द्वारा एशिया और अफ्रीका के क्षेत्रों पर सैनिक शक्ति द्वारा विजय प्राप्त कर उसे अपने प्रत्यक्ष अधीन में रखना।
आर्थिक मंदी- अर्थतंत्र में आनेवाली ऐसी स्थिति जब उसके तीनों आधार कृषि, उद्योग, और व्यापार का विकास अवरूद्ध हो जाए। लाखों लोग बेरोजगार हो जाए, बैंकों और कंपनियों का दिवाला निकल जाए तथा वस्तु और मुद्रा दोनों की कीमत नहीं रहे।
शेयर बाजार- वैसा स्थान जहाँ व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियों के बाजार मूल्य का निर्धारण होता है।
सट्टेबाजी- कंपनियों में पूँजी लगा कर उसका हिस्सा खरीदना ताकि उसका मूल्य बढ़े और पुनः उसे बेच देना।
संरक्षणवाद- अपने वस्तुओं को विदेशी वस्तुओं के आमद से होने वाले नुकसान से उसे बचाने के लिए विदेशी वस्तु पर ऊँची आयात शुल्क लगाना।
न्यू-डील- जनकल्याण की एक बड़ी योजना से संबंधित नई नीति जिसमें आर्थिक क्षेत्र के अलावा राजनीतिक और प्रशासनिक नीतियों को भी नियमित किया गया।
अधिनायकवाद- वैसी राजनैतिक प्रशासनिक व्यवस्था जिसमें एक व्यक्ति के हाथ सारी शक्तियाँ केन्द्रित होती है। वह व्यक्ति परिस्थितियों का लाभ उठाकर जनता के बीच नायक की छवि बनाता है।
भूमंडलीकरण- जीवन के सभी क्षेत्रों का एक अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप, जिसने दुनिया के सभी भागों को आपस में जोड़ दिया है- सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव के रूप में परिवर्तित हो गया है।
पूँजीवाद- पूँजी पर आधारित एक व्यवस्था जो बाजार और मुनाफा के उपर टिका है।
शीत युद्ध- राज्य नियंत्रित और बाजार नियंत्रित अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेतृत्वकर्ता देशों सोवियत रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सामरिक तनाव।
बहुराष्ट्रीय कंपनी- कई देशों में एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करने वाले कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है। 1920 के बाद से इस तरह की कंपनियों का उत्कर्ष हुआ जो द्वितीय महायुद्ध के बाद काफी बढ़ा।
उपनिवेशवाद- उपनिवेशवाद एक ऐसी राजनैतिक आर्थिक प्रणाली जो प्रत्यक्ष रूप से एशिया और अविकसित अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका में यूरोपीय देशों द्वारा त्याग किया गया। इसका एक मात्र उद्देश्य था इन देशों का आर्थिक शोषण करना।
गिरमिटिया मजदूर- औपनिवेशिक देशों के ऐसे श्रमिक जिन्हें एक निश्चित समझौता द्वारा निश्चित समय के लिए अपने शासित क्षेत्रों में ले जाते थे, इन्हें मुख्यतः नकदी फसलों-जैसे गन्ना के उत्पादन में लगाया जाता था। भारत के भोजपुरी भाषी क्षेत्रों (पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बिहार) पंजाब, हरियाणा से गन्ना की खेती के लिए जमैका, फिजी, त्रिनिदाड एवं टोवैको, मॉरिशस आदि देशों में ले जाया गया।
प्राचीन विश्व बाजार का स्वरूप और स्पष्ट प्रमाण अलेक्जेण्ड्रीया नामक बड़ा व्यापारिक केन्द्र की चर्चा के क्रम में मिलता है।
यह शहर तीन महादेशों अफ्रीका, यूरोप और एशियाके व्यापारियों का केन्द्र था।
विश्वबाजार का स्वरूप और विस्तार
- औद्योगिक क्रांति के फेलाव के साथ-साथ बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता गया।
- किसानों को अपने उपज का अच्दा रिटर्न मिलता था, क्योंकि बाजार ज्यादा प्रतिस्पर्धी होता है।
- रोजगार के नए अवसर सृजित होते है।
- आधुनिक विचार और चेतना का भी प्रसार होता है।
विश्वबाजार के लाभ
- आधुनिकीकरण
- औपनिवेशिक देशों में रेलमार्ग-सड़क, बन्दरगाह, खनन, बागवानी जैसे संरचनात्मक क्षेत्र का विकास हुआ।
- नवीन तकनिक को सृजित किया।
- रेलवे, वाष्प इंजन, भाप का जहाज, टेलीग्राफ, बड़े जलपोत महत्वपूर्ण रहा।
- शहरीकरण का विकास
विश्वबाजार के हानि
- साम्राज्यवाद का उदय
- कृषि, लघु तथा कुटिर उद्योगों का पतन
- औपनिवेशिक देशों में अकाल और भुखमरी
- यूरापीय देशों के बीच साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा
आज जीविकोपार्जन और भूमंडलीकरण का अन्तर्साम्य संबंध
- शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद से सैनिक शक्ति को आर्थिक शक्ति द्वारा पीछे छोड़ दिया गया।
- 1991 के बाद सम्पूर्ण विश्व में सेवा क्षेत्र का विस्तार काफी तीव्र गति से हुआ है, जिससे जीवीकोपार्जन के कई नए क्षेत्र खुल गए हैं।
- यातायात की सुविधा ( बस, टैक्सी, हवाई जहाज ), बैंक, और बीमा क्षेत्र में दी जानेवाली सुविधा, दूरसंचार, और सूचना तकनिक ( मोबाइल, फोन, कम्प्यूटर, इंटरनेट ) होटल और रेस्टोरेंट, बड़े शहरों में शॉपिंग मॉल, कॉल सेंटर आदि काफी तेजी से फैला है।
- पर्यटक स्थल का विकास हो रहा है।
- लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।
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